सोमवार, 31 अगस्त 2009
झूठ बोलते हैं ये जहाज बच्चों!
अवतार सिंह पाश
झूठ बोलते हैं
ये जहाज, बच्चों!
इनका सच न मानना
तुम खेलते रहो
घर बनाने का खेल...
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वे रेडियो नहीं सुनते
अखबार नहीं पढ़ते
जहाज खेतों में ही दे जाते हैं खबर सारी
हल को पकड़ कर वे केवल हंस देते हैं
क्योंकि वे समझते हैं कि हल की फाल पगली नहीं
पगली तो तोप होती है
हम अंधेरे कोनों में
गुमसुम बैठे सोच रहे हैं
और पल भर में चांद उगेगा
भूरा-भूरा सा
लूटा-लूटा सा
तो बच्चों को कैसे बताएंगे
इस तरह का चांद होता है ?
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रेडियो से कहो
कसम खाकर तो कहे
धरती अगर मां होती है तो किसकी ?
यह पाकिस्तानियों की क्या हुई ?
और भारत वालों की क्या लगी ?
असफल होना बेईमानी करने से कहीं ज्यादा सम्मानजनक है
गुरु और छात्रों के बीच दूरी बढ़ी है। दरअसल आजके बाजारवाद में शिक्षा भी एक एक प्रोडक्ट है और बाजार में रिश्तों की कद्र कोई नहीं है। ऐसे में अमरीकी राष्ट्रपति अब्राहम लिंकन का ये पत्र काफी मौजूं हैं।
'' मैं जानता हूँ कि उसे यह सीखना होगा कि सभी आदमी ईमानदार नहीं होते ओर सभी सच्चे नहीं होते, लेकिन उसे यह भी सिखाइए, कि जितने दुष्ट हैं, उतने लायक भी हैं; कि जितने स्वार्थी राजनीतिज्ञ हैं, उतने समर्पित नेता हैं…उसे यह भी सिखाइए कि यदि दुश्मन हैं; तो उतने ही दोस्त भी हैं। मुझे मालूम है, इसमें समय लगेगा; पर यदि आप कर सकें तो उसे यह भी सिखाइए कि ख़ुद अर्जित एक डॉलर की कीमत कहीं से मिल गए पॉँच डॉलरों से ज्यादा होती है. उसे बताइए कि वह हार को स्वीकार करना सीखें.. और जीत का आनंद लेना भी. उसे ईर्ष्या से दूर ले जाइए, यदि आप ऐसा कर सके, और उसे मृदु हास्य के रहस्य से परिचित कराइए. उसे कम उम्र में ही यह सिखाइए कि बदमाशों को पीटना सबसे आसान होता है. उसे पुस्तकों की अद्भुत दुनिया के बारे में बताइए, लेकिन उसे आकाश में उड़ते पंछियों, धुप में फिरती मधु मक्खियों और हरी पहाड़ियों पर खिले फूलों के शाश्वत रहस्य पर दिमाग दौड़ने के लिए भी तो समय दीजिए.स्कूल में उसे यह सिखाइए कि असफल होना बेईमानी करने से कहीं ज्यादा सम्मानजनक है। उसे अपने ख़ुद के विचारों में आस्था रखना सिखाइए भले ही हर कोई कह रहा हो कि वे ग़लत हैं….उसे नम्र लोगों के साथ नम्रता से तथा कठोर लोगों से कठोरता से पेश आना सिखाइए और मेरे बच्चे को ऐसी मजबूती देने की कोशिश कीजिए कि जब हर कोई सफलता के पीछे भाग रहा हो, तब भी वह भीड़ के पीछे ना चलें. उसे सिखाइए कि वह सबकी बात सुनें. उसे सच्चाई के छन्ने से छाने और जो अच्छाई हो, उसे ग्रहण करे.उसे उदासी में भी हँसाना सिखाइए. उसे इंसानी गुणों से द्वेष करने वाले पर हँसना सिखाइए और बहुत ज्यादा मिठास से सावधान रहना सिखाइए. उसे सिखाइए कि वह अपने बल और बुद्धि का अधिकतम मूल्य लगाये पर कभी भी अपने हृदय और आत्मा की कीमत न लगाये. उसे यह भी सिखाइए कि अगर वह समझता है कि वह सही है तो चीखती-चिल्लाती भीड़ पर ध्यान न दे और दृढ़ता से लड़ाई लड़े. उसके साथ नम्रता से पेश आयें. मगर उसे दुलराएँ नहीं क्योंकि अग्नि परीक्षा से गुज़र कर ही असली फौलाद तैयार होता है. उसे अधीर होने का साहस करने दीजिए…. और उसे साहसी होने का धीरज भी सिखाइए. उसे हमेशा अपने में आस्था रखना सिखाइए, क्योंकि तभी वह मानव जाती में उदात आस्था रख सकेगा.''
० अब्राहम लिंकन का हेडमास्टर के नाम पत्र
रविवार, 23 अगस्त 2009
सबसे ख़तरनाक होता है हमारे सपनों का मर जाना
मेहनत की लूट सबसे ख़तरनाक नहीं होती
पुलिस की मार सबसे ख़तरनाक नहीं होती
गद्दारी और लोभ की मुट्ठी सबसे ख़तरनाक नहीं होती
बैठे-बिठाए पकड़े जाना बुरा तो है
सहमी-सी चुप में जकड़े जाना बुरा तो है
सबसे ख़तरनाक नहीं होता
कपट के शोर में सही होते हुए भी दब जाना बुरा तो है
जुगनुओं की लौ में पढ़ना
मुट्ठियां भींचकर बस वक़्त निकाल लेना बुरा तो है
सबसे ख़तरनाक नहीं होता
सबसे ख़तरनाक होता है मुर्दा शांति से भर जाना
तड़प का न होना
सब कुछ सहन कर जाना
घर से निकलना काम पर
और काम से लौटकर घर आना
सबसे ख़तरनाक होता है
हमारे सपनों का मर जाना
सबसे ख़तरनाक वो घड़ी होती है
आपकी कलाई पर चलती हुई भी जो
आपकी नज़र में रुकी होती है
सबसे ख़तरनाक वो आंख होती है
जिसकी नज़र दुनिया को मोहब्बत से चूमना भूल जाती है
और जो एक घटिया दोहराव के क्रम में खो जाती है
सबसे ख़तरनाक वो गीत होता है
जो मरसिए की तरह पढ़ा जाता है
आतंकित लोगों के दरवाज़ों परगुंडों की तरह अकड़ता है
सबसे ख़तरनाक वो चांद होता है
जो हर हत्या कांड के बाद वीरान हुए आंगन में चढ़ता है
लेकिन आपकी आंखों में मिर्चों की तरह नहीं पड़ता
सबसे ख़तरनाक वो दिशा होती है
जिसमें आत्मा का सूरज डूब जाए
और जिसकी मुर्दा धूप का कोई टुकड़ा
आपके जिस्म के पूरब में चुभ जाए
मेहनत की लूट सबसे ख़तरनाक नहीं होती
पुलिस की मार सबसे ख़तरनाक नहीं होती
गद्दारी और लोभ की मुट्ठी सबसे ख़तरनाक नहीं होती ।
0 अवतार सिंह पाश