अखबारों में खुलासा शब्द का इस्तेमाल एक्सपोज के लिए बड़ी आसानी से कर दिया जाता है। दिलचस्प ये है कि जो अखबार अपने को भाषा के तौर पर बहुत दुरुस्त मानते हैं, वह भी इस दौड़ में शामिल हैं। जबकि खुलासा का मतलब होता है समरी यानी सार-संक्षेप। याद करें बीबीसी या आल इंडिया रेडियो की उर्दू सर्विस में खबरें शुरू होने से पहले हमेशा कहा जाता रहा है कि पहले सुनिये खबरों का खुलासा। यानी वह पहले खबरों का सार सुनाने की बात करते हैं।
इसी तरह कवायद शब्द का इस्तेमाल भी खूब होता है। इसका मतलब है किसी चीज के लिए मश्क यानी इक्सरसाइज करना, लेकिन कई बार इस शब्द का प्रयोग तैयारी के मतलब में होता है।
शराबोर को सराबोर लिखना भी जारी है। सराबोर जैसा उर्दू में कोई शब्द नहीं है।
एक उदाहरण बवाल का भी। बवाल जैसा उर्दू में कोई शब्द नहीं है। अलबत्ता एक शब्द वबाल जरूर है, जिसका संबंध वबा यानी प्लेग फैलने से है। हां, वबाले-जान शायरी के जरिये पापुलर है।
हिंदी पत्रकारिता में हंगामा काटा जैसा शब्द भी इन दिनों खूब लिखा जा रहा है। हंगामा काटने जैसी कोई क्रिया नहीं है। जबरदस्त को कई बंधु जबरजस्त लिखते हैं।
बात खबरिया चैनलों की भी। किसी भी ब्रेक से पहले कहा जाता है, खबरों का सिलसिला लगातार जारी है। दिलचस्प ये है कि इन तीनों के मतलब करीब-करीब एक ही हैं। इसकी जगह कहा जा सकता है, खबरें आगे भी जारी हैं, अभी और भी खबरें बाकी हैं, हम ब्रेक के बाद कुछ और खबरों के साथ मिलेंगे।
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