सोमवार, 31 अगस्त 2009

असफल होना बेईमानी करने से कहीं ज्यादा सम्मानजनक है


गुरु और छात्रों के बीच दूरी बढ़ी है। दरअसल आजके बाजारवाद में शिक्षा भी एक एक प्रोडक्ट है और बाजार में रिश्तों की कद्र कोई नहीं है। ऐसे में अमरीकी राष्ट्रपति अब्राहम लिंकन का ये पत्र काफी मौजूं हैं।

'' मैं जानता हूँ कि उसे यह सीखना होगा कि सभी आदमी ईमानदार नहीं होते ओर सभी सच्चे नहीं होते, लेकिन उसे यह भी सिखाइए, कि जितने दुष्ट हैं, उतने लायक भी हैं; कि जितने स्वार्थी राजनीतिज्ञ हैं, उतने समर्पित नेता हैं…उसे यह भी सिखाइए कि यदि दुश्मन हैं; तो उतने ही दोस्त भी हैं। मुझे मालूम है, इसमें समय लगेगा; पर यदि आप कर सकें तो उसे यह भी सिखाइए कि ख़ुद अर्जित एक डॉलर की कीमत कहीं से मिल गए पॉँच डॉलरों से ज्यादा होती है. उसे बताइए कि वह हार को स्वीकार करना सीखें.. और जीत का आनंद लेना भी. उसे ईर्ष्या से दूर ले जाइए, यदि आप ऐसा कर सके, और उसे मृदु हास्य के रहस्य से परिचित कराइए. उसे कम उम्र में ही यह सिखाइए कि बदमाशों को पीटना सबसे आसान होता है. उसे पुस्तकों की अद्भुत दुनिया के बारे में बताइए, लेकिन उसे आकाश में उड़ते पंछियों, धुप में फिरती मधु मक्खियों और हरी पहाड़ियों पर खिले फूलों के शाश्वत रहस्य पर दिमाग दौड़ने के लिए भी तो समय दीजिए.स्कूल में उसे यह सिखाइए कि असफल होना बेईमानी करने से कहीं ज्यादा सम्मानजनक है। उसे अपने ख़ुद के विचारों में आस्था रखना सिखाइए भले ही हर कोई कह रहा हो कि वे ग़लत हैं….उसे नम्र लोगों के साथ नम्रता से तथा कठोर लोगों से कठोरता से पेश आना सिखाइए और मेरे बच्चे को ऐसी मजबूती देने की कोशिश कीजिए कि जब हर कोई सफलता के पीछे भाग रहा हो, तब भी वह भीड़ के पीछे ना चलें. उसे सिखाइए कि वह सबकी बात सुनें. उसे सच्चाई के छन्ने से छाने और जो अच्छाई हो, उसे ग्रहण करे.उसे उदासी में भी हँसाना सिखाइए. उसे इंसानी गुणों से द्वेष करने वाले पर हँसना सिखाइए और बहुत ज्यादा मिठास से सावधान रहना सिखाइए. उसे सिखाइए कि वह अपने बल और बुद्धि का अधिकतम मूल्य लगाये पर कभी भी अपने हृदय और आत्मा की कीमत न लगाये. उसे यह भी सिखाइए कि अगर वह समझता है कि वह सही है तो चीखती-चिल्लाती भीड़ पर ध्यान न दे और दृढ़ता से लड़ाई लड़े. उसके साथ नम्रता से पेश आयें. मगर उसे दुलराएँ नहीं क्योंकि अग्नि परीक्षा से गुज़र कर ही असली फौलाद तैयार होता है. उसे अधीर होने का साहस करने दीजिए…. और उसे साहसी होने का धीरज भी सिखाइए. उसे हमेशा अपने में आस्था रखना सिखाइए, क्योंकि तभी वह मानव जाती में उदात आस्था रख सकेगा.''


० अब्राहम लिंकन का हेडमास्टर के नाम पत्र

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